Memory loss prevention (Social Media)
Memory loss prevention (Social Media)
याददाश्त में सुधार: क्या आप भी अक्सर भूल जाते हैं कि चाबियाँ कहाँ रखी हैं? कभी मोजे नहीं मिलते, तो कभी किसी कमरे में जाकर यह भूल जाते हैं कि वहाँ क्यों गए थे? अगर हाँ, तो आप अकेले नहीं हैं। यह समस्या आजकल आम हो गई है, लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है। कुछ साधारण आदतों में सुधार करके आप अपनी याददाश्त को बेहतर बना सकते हैं। न्यूरोसाइंटिस्टों के अनुसार, हमारी रोजमर्रा की कुछ आदतें धीरे-धीरे हमारी याददाश्त को प्रभावित कर रही हैं। यदि इन आदतों में बदलाव किया जाए, तो हम मानसिक रूप से अधिक सतर्क और स्वस्थ रह सकते हैं।
आइए जानते हैं कि ये आदतें कौन-सी हैं और ये हमारी याददाश्त पर कैसे असर डालती हैं।
सुबह की कॉफी: दिमाग के लिए हानिकारक
कई लोग सुबह उठते ही कॉफी पीना शुरू कर देते हैं। हालांकि, न्यूरोसाइंटिस्टों का कहना है कि यह आदत मस्तिष्क की ऊर्जा प्रणाली को बाधित कर सकती है। कॉफी में मौजूद कैफीन एडेनोसिन नामक रसायन को ब्लॉक कर देता है, जो हमें नींद और थकान का अनुभव कराता है। यदि आप सुबह उठते ही कैफीन का सेवन करते हैं, तो यह शरीर की प्राकृतिक जागने की प्रक्रिया को बाधित कर देता है, जिससे दोपहर में थकावट और 'ब्रेन फॉग' का अनुभव हो सकता है।
क्या करेंयदि आप कॉफी पीना चाहते हैं, तो सुबह जागने के 90-120 मिनट बाद का समय सबसे उपयुक्त है। इस दौरान आप व्यायाम कर सकते हैं, थोड़ी टहल सकते हैं या ठंडे पानी से चेहरा धो सकते हैं, जिससे शरीर में जागरूकता बढ़ेगी। इसके बाद ली गई कॉफी अधिक प्रभावी होती है और थकान से भी बचाती है।
रात में मोबाइल देखना: नींद और याददाश्त के लिए हानिकारक
क्या आप रात में सोते समय मोबाइल चेक करते हैं? यदि हाँ, तो यह आदत आपकी नींद की गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है।
न्यूरोसाइंटिस्टों का कहना है कि रात में मोबाइल देखने से दो समस्याएँ हो सकती हैं। पहली, मोबाइल की तेज रोशनी आपकी आँखों और मस्तिष्क को जागृत कर देती है। यदि आप 10 सेकंड से अधिक समय तक स्क्रीन देखते हैं, तो आपका मस्तिष्क जाग जाता है और फिर से सोना मुश्किल हो जाता है। दूसरी, समय देखने की आदत तनाव पैदा करती है। यदि आप केवल एक घंटे ही सो पाए हैं या सुबह होने में अभी बहुत समय है, तो चिंता बढ़ जाती है, जो मानसिक थकावट का कारण बनती है।
क्या करेंरात में यदि आपकी नींद खुल जाए, तो घड़ी या मोबाइल देखने से बचें। आँखें बंद रखें, गहरी साँस लें और कोशिश करें कि दोबारा सो जाएं। इससे नींद की गुणवत्ता बनी रहेगी और अगली सुबह आप तरोताज़ा महसूस करेंगे।
सोने से पहले स्क्रीन देखना: याददाश्त के लिए हानिकारक
रात को सोने से पहले टीवी देखना या मोबाइल पर वीडियो स्क्रॉल करना एक सामान्य आदत बन गई है। यह आरामदायक लग सकता है, लेकिन इससे नींद और मस्तिष्क दोनों को नुकसान होता है।
न्यूरोसाइंटिस्टों के अनुसार, रात में टीवी देखने से शरीर में एड्रेनालिन का स्तर बढ़ता है, जो दिमाग को सक्रिय कर देता है और नींद आना कठिन बना देता है। इसके अलावा, टीवी और मोबाइल से निकलने वाली नीली रोशनी मेलाटोनिन नामक नींद लाने वाले हार्मोन को कम कर देती है।
यदि आपके बेडरूम में टीवी है, तो यह आपके रिश्ते पर भी असर डाल सकता है। शोध बताते हैं कि जिन दंपतियों के बेडरूम में टीवी होता है, उनमें शारीरिक और भावनात्मक जुड़ाव की दर कम हो जाती है।
क्या करेंरात में सोने से एक घंटे पहले सभी स्क्रीन बंद कर दें। इसके बजाय किताब पढ़ें, हल्का संगीत सुनें या ध्यान करें। इससे आपको गहरी और बेहतर नींद मिलेगी, जो आपकी याददाश्त के लिए आवश्यक है।
छोटी आदतें, बड़ा प्रभाव
हमारी दिनचर्या की छोटी-छोटी आदतें हमारे मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर गहरा प्रभाव डाल सकती हैं। यदि हम सुबह उठते ही कॉफी पीने से बचें, रात में मोबाइल या टीवी देखने की आदत को नियंत्रित करें और अच्छी नींद को प्राथमिकता दें, तो हमारी याददाश्त में सुधार हो सकता है। याद रखें, दिमाग को तेज और स्वस्थ रखने के लिए दवाइयों से ज्यादा जरूरी है अच्छी नींद, संतुलित दिनचर्या और तकनीक से थोड़ी दूरी। आपका ध्यान, आपकी सबसे बड़ी संपत्ति है, इसे व्यर्थ न जाने दें।You may also like
कोलकाता हाई कोर्ट के निर्देश के बाद बर्खास्त शिक्षकों ने किया, मंच का निर्माण नये स्थान पर
बलरामपुर : झीरम घाटी हमले की बरसी पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन
आंधी-बारिश और ओलावृष्टि में कार को नुकसान से बचाने के लिए इन जरूरी बातों का रखें ध्यान
धोलेरा-भावनगर हाइवे पर सड़क हादसे में 4 की मौत
गुरुग्राम निगम का दावा,ड्रेनेज व सीवरेज की सफाई से नहीं हुआ जलभराव